कटा मांझा

तू पतंग सा खुल के लेहरा,
तू पतंग सा हवा में झूम,
तू पतंग सा आसमान को चूम,
मैं तेरा मांझा, तेरा पेहरा।

आंधी आए या तूफ़ान,
मैं दूँगी तुझे सहारा,
तू जो ठहरा मेरा दुलारा,
तू जो मेरी आँखों का तारा।

उड़ते ही गए हम पतंगों में,
बादलों की गोदियों में,
कि एक पतंग ने मुझे काट दिया,
मुझे हिस्सों में बाट दिया।

हम दोनो साथ खो गए,
हम दोनो साथ बिछड़ गए,
हम दोनो साथ बेबस हो गए,
 मेरे टुकड़े जो हो गए।

मैं ना रही पूरी ऊपर,
मैं ना रही पूरी नीचे,
मुझे यू ही चीर दिया,
छोड़  गई एक हिस्सा पीछे।

मैं अधूरी सी रह गई,
कागज़ की नाव सी बह गई,
तेरे साथ गिरती गई,
अपना अस्तित्व खो गई।

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